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कैसे साहित्यकार गया बन हूँ नेता और मैं कवि अंगारों की नदी बन ये छल मेरा बहता गया... जिंदगी चिराग शिकवा क्या था क्या बन गया ज़िंदगी तुम कहाँ हो ज़िन्दगी मरहम जाएं

Hindi बन गया Poems